आज के इस आर्टिकल में हिंदी व्याकरण का अंतिम भाग विराम-चिन्ह के बारे में बताया गया हैं। हमने अपने पिछले आर्टिकल में उपसर्ग और प्रत्यय के बारे में पढ़ा था। अगर आपने अभी तक उसे नहीं पढ़ा हैं तो इसे भी जरूर पढ़े।
Viram Chinh Kise Kahate Hain – विराम-चिन्ह की परिभाषा क्या होती हैं हिंदी में
विराम-चिन्हों के प्रकार – प्रमुख्य विराम चिन्ह और उनके प्रयोग :-
6 . निर्देशक (-) – किसी बात का उत्तर या उदाहरण आगे दिया जाना हो, तो इसका प्रयोग होता हैं।
जैसे – रमन ने कहा –
7 . योजक (Hyphen) (-) – दो शब्दों को जोड़ने के लिए योजक का प्रयोग किया जाता है।
जैसे – धीरे-धीरे, रात-दिन, सुबह-शाम आदि।
8 . कोष्ठक () – प्रयोग किये शब्दों का अर्थ लिखने के लिए कोष्ठक का प्रयोग होता हैं।
जैसे – शीत (ठंड) लगने से लोगों की जान चली गई।
9 . उद्धरण (” “) – उद्धत या कथन को इस चिन्ह के बीच में रखा जाता है।
जैसे – तुम्हारी बातों को सुनकर वह बोली – “मैं सुकुमारी नाथ बनजोगु”।
10 . विस्मयादिबोधक (!) – हर्ष, विषाद, शोक, दुःख तथा सम्बोधन आदि प्रकट करने वाले शब्दों के बाद इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता हैं।
जैसे – अरे, बच्चों! शोर मत करो। आदि
11 . लाघव चिन्ह (.) – किसी शब्द को छोटा करके लिखने के लिए इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
जैसे – डॉक्टर के लिए – डॉ. | घंटा के लिए – घं. | मिनट के लिए – मि. आदि।
Final Words –
सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण की सूची – Complete Hindi Grammar List.